जून का मौसम था और आज फिर एक बार सुबह से बारिश हो रही है। भारी बारिश की वजह से लोग अपने घरों में ही है। झमाझम बारिश के बीच पूरा दिन गुजर चुका था और अब रात के 8 बज चुके हैं। सड़कों पर अब भीड़ पहले से भी बहुत कम हो गई थी। बारिश से बचने के लिए सब अपने घरों में ही है लेकिन चमकती बिजली की तेज रोशनी और भारी बारिश के बीच एक आकृति उस खाली सी सड़क पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। वह बहुत ही धीरे-धीरे चल रही है, इतने धीरे-धीरे जैसे मानो उसका हर कदम दर्द से भरा हुआ हो, और उसके लिए अपने शरीर को एक इंच भी हिलाना बहुत मुश्किल हो रहा हो। लेकिन फिर भी, धीरे-धीरे वह अपने शरीर को घसीट कर अपनी मंजिल तक जा रही है। उसकी आँखें लाल और सूजी हुई हैं और चेहरा पीला है। उसके गाल आँसुओं से भीगे हुए हैं। इतनी देर से भटकने के बाद वह आकृति एक दरवाजे पर पहुंची और उसने बची हुई सारी ताकत से उस घर का दरवाजा खटखटाया। कुछ समय बाद कोई दरवाजा खोलता है और जैसे ही दरवाजा खुलता है, वह आकृति सीधे उस व्यक्ति पर गिर पड़ी, जिसने दरवाजा खोला।