मतलबी दुनिया - Mean world पर्ल अपार्टमेन्ट में घरेलू काम करने वाला चेरीयन , दिल का बहुत अच्छा इंसान था , केरल में उसका कोई नही था , माता पिता बचपन में ही मर गये थे , कोई पूछ्ने वाला नही था। जमीन जायदाद पर अडोसी पडोसी ने कब्जा कर लिया था , ऊपर से जान का खतरा अलग , सो वो मुम्बई आ गया। कुछ दिन फुटपाथ पर बिताये , फिर एक दिन रूमा मैडम ने उसे घरेलू कामों के लिये नौकरी पर रख लिया। वो बहुत मेहनती था , मन लगा कर काम करता , ना सिर्फ रूमा मैडम के बल्कि अपार्टमेन्ट के रहने वाले अनेक लोगों के भी। वे लोग चेरियन से छोटे मोटे काम करवा लेते थे। रूमा मैडम उसे इस बात के लिये डांटती भी थी , की क्यों इन लोगों के काम बेमतलब के लिये करते हो , कोई सैलेरी थोड़ी ना देता है तुम्हें। तब चेरियन कहता -मैडम क्या फर्क पडता है , इसी तरह किसी की सहायता ही हो जाती है , ओर ये सहायता कभी मेरे काम ही आयेगी। तब रूमा मैडम कहा करती -चेरियन तुम बहुत भोले ओर दिल के साफ इंसान हो , पर ये दुनिया ऐसी नही है , यहाँ लोग मतलब निकल जाने पर पूछते भी नही हैं , खैर जैसी तुम्हारी मर्जी। इसी बीच रूमा मैडम के पति का ट्रांसफ़र दुबई हो गया , वो लोग अपार्टमेन्ट खाली करके चले गये। इसके चलते चेरियन अब बेरोजगार हो गया , वो कई जगह काम के लिये गया भी , पर उसे काम नही मिल पाया था। हालाँकि वो अब भी अपार्टमेन्ट के पार्किग में रह रहा था , पर अब उसका कमाई का जरिया खत्म हो गया था। वो जिनका काम फ्री में कर दिया करता था , वो उसे कभी कभार बचा खुचा खाना दे देते थे , इसके चलते चेरियन कमजोर हो गया , ओर कमजोरी के चलते बीमार हो गया। एक दिन कमजोरी के कारण बेहोश होकर गिर पड़ा , तो अपार्टमेंट वालों ने मीटिंग कर, उसे अपार्टमेंट से बाहर निकलवा दिया। रोड पर पड़ा देख कर , किसी भले मानस ने मुम्बई महापालिका को फोन कर दिया , ओर महापालिका वालों ने उसे एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। वहाँ इलाज होने से वो ठीक होने लगा था। तब उसे रूमा मैडम की वो बात याद आती थी की , ये दुनिया मतलबी है , लोग मतलब निकलने पर पूछते नही हैं !
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